कृपा मई कृपा करो प्रणाम बार बार है ।
दया मई दया करो प्रणाम बार बार है ॥
न शक्ति न भक्ति है विवेक बुद्धि है नहीं ।
मलिन दीन हीन हूँ न पूण्य शुद्धि है नहीं ॥
अधीर विश्व धार बीच डूबता सीवे सदा ।
अशान्ति भीति मोहे सोक रहा रोक ते सदा ॥
विपत्ति है अनंन्त अम्बे आपदा अपार है ।
कृपा मई कृपा करो प्रणाम बार बार है ।
दया मई दया करो प्रणाम बार बार है ॥
तुम्हे अगर तजु कहु कहा विपत्ति की कथा ।
सूने उसे कौन अगर सुनो ना देवी सर्वथा ॥
श्रीगण विनाशनी स्वामिनी समस्त विश्वपालिका ।
अदृश्य दृश्य प्राण शक्ति एक मेव तालिका ॥
कठोर तू तथापि भक्त के लिए उदार है ।
कृपा मई कृपा करो प्रणाम बार बार है ।
दया मई दया करो प्रणाम बार बार है ॥
असंख्य है विभूतियाँ अनन्त सौर्य शालिनी ।
अखंड तेज राशि युक्त देवी मुण्ड मालिनी ॥
समग्र सृष्टि एक अंश से प्रखर प्रकाशिका ।
विवेक दाई का विभो पाप शूल्य नाशिका ॥
क्षमा मई क्षमा करो कि यही पुकार है ।
कृपा मई कृपा करो प्रणाम बार बार है ।
दया मई दया करो प्रणाम बार बार है ॥
श्रीवेवनी नित भावना लिये हुए खड़ा हुआ ।
चरण सरोज में अबोध पुत्र है पड़ा हुआ ॥
कृपा भरी सुदृष्टि एक बार तू पसार दे ।
मिटे अशांति शोक एक बार तू निहार दे ॥
हर एक वस्तु बीच अम्बे आपका विहार है ।
कृपा मई कृपा करो प्रणाम बार बार है ॥
दया मई दया करो प्रणाम बार बार है ।
क्षमा मई क्षमा करो प्रणाम बार बार है ॥
कृपा मई कृपा करो प्रणाम बार बार है ।
दया मई दया करो प्रणाम बार बार है ॥